१. ये कहकर मेरे दुश्मन मुझे हसत हुये छोड गये ,
कि तेरे अपने हि काफी है . . . . तुझे रुलाने के लिये
२. वो अक्सर मुझ से कहते थे
रिश्ते फुलो जैसे होते है ।
कदम रुक से गये आज मेरे
बाजार मी फूल बिकते देख कर ।।
३. भुकी नंगि झोपडी
मन हि मन हैराण,
पिछवाडे किसने लिखा
मेरा भारत महान ।
४. कभी आसू कभी ख़ुशी बेची
गरीबो ने बेबसी बेची,
चंद सांसे खरीदने के किये
रोज थोडीसी जिंदगी बेची ।
५. मै बचाता राहा दिमको से घर अपना,
और चंद कुसी के किडे पुरा मुल्क खा गये
६. मेरी पीठ पर जो जख्म है
वो दस्तखत है दोस्तो के,
सिने तो अभी सलामत है
दुश्मन के इंतजार मे . . . . .
7. *जो मांगू वो दे दिया कर ए जिंदगी...!!*
*तू कभी तो मेरे पापा जैसी बन.*
कि तेरे अपने हि काफी है . . . . तुझे रुलाने के लिये
२. वो अक्सर मुझ से कहते थे
रिश्ते फुलो जैसे होते है ।
कदम रुक से गये आज मेरे
बाजार मी फूल बिकते देख कर ।।
३. भुकी नंगि झोपडी
मन हि मन हैराण,
पिछवाडे किसने लिखा
मेरा भारत महान ।
४. कभी आसू कभी ख़ुशी बेची
गरीबो ने बेबसी बेची,
चंद सांसे खरीदने के किये
रोज थोडीसी जिंदगी बेची ।
५. मै बचाता राहा दिमको से घर अपना,
और चंद कुसी के किडे पुरा मुल्क खा गये
६. मेरी पीठ पर जो जख्म है
वो दस्तखत है दोस्तो के,
सिने तो अभी सलामत है
दुश्मन के इंतजार मे . . . . .
7. *जो मांगू वो दे दिया कर ए जिंदगी...!!*
*तू कभी तो मेरे पापा जैसी बन.*
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