पसायदान

आता विश्वात्मके देवे| येणे वाग्यज्ञे तोषावें|
तोषोनी मज द्यावे| पसायदान हे।|

जे खळांची व्यंकटी सांडो| तयां सत्कर्मी रती वाढो|
भूतां परस्परे जडों| मैत्र जीवांचे।|

दुरितांचे तिमीर जाओ| विश्वस्वधर्मसूर्ये पाहो|
जो जे वांछिल तो ते लाहो| प्राणिजात।|

वर्षत सकळ्मंगळी| ईश्वरनिष्ठांची मांदियाळी|
अनवरत भूमंडळी| भेटतु भूतां।|

चला कल्पतरूंचे आरव| चेतना चिंतामणीचे गाव|
बोलते जे अर्णव| पीयुषाचे।|

चंद्रमे जे अलांछन| मार्तंड जे तापहीन|
ते सर्वांही सदा सज्जन| सोयरे होतु।|

किंबहुना सर्व सुखी| पूर्ण होवोनी तिन्ही लोकी|
भजि जो आदिपुरुषी| अखंडित।|

आणि ग्रंथोपजीविये| विशेषीं लोकी इये|
दृष्टादृष्टविजयें| होआवें जी।|

येथ म्हणे श्री ज्ञानेश्वराओ| आ होईल दान पसाओ|
येणे वरें ज्ञानदेओ| सुखिया जाला।|

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