पूजा करिते तव हे, प्रभुवर!
अखिल चराचर, कर्म करोनी।। पूजा....।।
रवि, शशि, तारे
सतत अंबरि तळपून
तिमिर समस्त हरोनि।। पूजा....।।
सागर उसळति
धावती द्रुतगति तटिनी
ध्येय उदात्त धरोनी।। पूजा....।।
वारे वाहति
डोलति तरुतति कितितरी
फलपुष्पानि भरोनी।। पूजा....।।
जीवन हे मम
तेवि स्वकर्मि रमोनी
जाउ झिजून झिजूनी।। पूजा....।।
कवी - साने गुरुजी
कवितासंग्रह - पत्री
- धुळे तुरुंग, मे १९३२
अखिल चराचर, कर्म करोनी।। पूजा....।।
रवि, शशि, तारे
सतत अंबरि तळपून
तिमिर समस्त हरोनि।। पूजा....।।
सागर उसळति
धावती द्रुतगति तटिनी
ध्येय उदात्त धरोनी।। पूजा....।।
वारे वाहति
डोलति तरुतति कितितरी
फलपुष्पानि भरोनी।। पूजा....।।
जीवन हे मम
तेवि स्वकर्मि रमोनी
जाउ झिजून झिजूनी।। पूजा....।।
कवी - साने गुरुजी
कवितासंग्रह - पत्री
- धुळे तुरुंग, मे १९३२