मम जीवन हरिमय होऊ दे
हरिमय होवो
प्रभुमय होवो
हरिशी मिळून मज जाऊ दे।। मम....।।
रुसेन हरिशी
हसेन हरिशी
हरिभजनी मज रंगू दे।। मम....।।
गाईन हरिला
ध्याइन हरिला
भवसागर मज लंघू दे।। मम....।।
हरिनामाचा
पावक साचा
अघवन घन मम जळू दे।। मम....।।
हेत हरीचे
बेत हरीचे
सकल कृतींतून दावू दे।। मम....।।
वेड सुखाचे
लागो हरिचे
हरिशी मिळून मज जाऊ दे।। मम....।।
कवी - साने गुरुजी
कवितासंग्रह - पत्री
- धुळे तुरुंग, जून १९३४
हरिमय होवो
प्रभुमय होवो
हरिशी मिळून मज जाऊ दे।। मम....।।
रुसेन हरिशी
हसेन हरिशी
हरिभजनी मज रंगू दे।। मम....।।
गाईन हरिला
ध्याइन हरिला
भवसागर मज लंघू दे।। मम....।।
हरिनामाचा
पावक साचा
अघवन घन मम जळू दे।। मम....।।
हेत हरीचे
बेत हरीचे
सकल कृतींतून दावू दे।। मम....।।
वेड सुखाचे
लागो हरिचे
हरिशी मिळून मज जाऊ दे।। मम....।।
कवी - साने गुरुजी
कवितासंग्रह - पत्री
- धुळे तुरुंग, जून १९३४
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