वन्दे मातरम्
सुजलाम् सुफलाम् मलयजशीतलाम्
सस्यश्यामलाम् मातरम्।
शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीम्
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीम्
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्
सुखदाम् वरदाम् मातरम् ॥ १ ॥
वन्दे मातरम् ।
कोटि - कोटि - कण्ठ कल - कल - निनाद - कराले,
कोटि - कोटि - भुजैर्धृत - खरकरवाले,
अबला केन मा एत बले।
बहुबलधारिणीम् नमामि तारिणीम्
रिपुदलवारिणीम् मातरम् ॥ २ ॥
वन्दे मातरम् ।
तुमि विद्या, तुमि धर्म
तुमि हृदि, तुमि मर्म
त्वं हि प्राणाः शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारइ प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे ॥ ३ ॥
मातरम् वन्दे मातरम् ।
त्वम् हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदलविहारिणी
वाणी विद्यादायिनी,
नमामि त्वाम् नमामि कमलाम्
अमलाम् अतुलाम् सुजलाम् सुफलाम् मातरम् ॥ ४ ॥
वन्दे मातरम् ।
श्यामलाम् सरलाम् सुस्मिताम् भूषिताम्
धरणीम् भरणीम् मातरम् ॥ ५ ॥
वन्दे मातरम् ।
-बंकिमचन्द्र चट्टोपाध्याय/चत्तेर्जी
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