कधि येशिल हृदयि रघुराया
कधि करुणेची करिशिल छाया।। हृदयि....।।
मोह न मजला मळि आवरती
अगतिक मी अति
पडतो पाया।। हृदयि....।।
बहुमोलाचे हे मम जीवन
हे करुणाधन
जाई वाया।। हृदयि....।।
होइल सदया जरि व दया तव
ठेवु कशास्तव
तरि मम काया।। हृदयि....।।
कवी - साने गुरुजी
कवितासंग्रह - पत्री
- नाशिक तुरुंग, सप्टेंबर १९३२
कधि करुणेची करिशिल छाया।। हृदयि....।।
मोह न मजला मळि आवरती
अगतिक मी अति
पडतो पाया।। हृदयि....।।
बहुमोलाचे हे मम जीवन
हे करुणाधन
जाई वाया।। हृदयि....।।
होइल सदया जरि व दया तव
ठेवु कशास्तव
तरि मम काया।। हृदयि....।।
कवी - साने गुरुजी
कवितासंग्रह - पत्री
- नाशिक तुरुंग, सप्टेंबर १९३२
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