प्रभु! सतत मदंतर हासू दे।।
तुझ्या कृपेचा वसंतवारा
जीवनवनि मम नाचू दे।। प्रभु....।।
विश्वग्रंथी पानोपानी
दृष्टि तुजचि मम वाचू दे।। प्रभु....।।
ठायी ठायी तुजला पाहुन
उचंबळुन मन जाउ दे।। प्रभु....।।
कवी - साने गुरुजी
कवितासंग्रह - पत्री
- धुळे तुरुंग, मे १९३२
तुझ्या कृपेचा वसंतवारा
जीवनवनि मम नाचू दे।। प्रभु....।।
विश्वग्रंथी पानोपानी
दृष्टि तुजचि मम वाचू दे।। प्रभु....।।
ठायी ठायी तुजला पाहुन
उचंबळुन मन जाउ दे।। प्रभु....।।
कवी - साने गुरुजी
कवितासंग्रह - पत्री
- धुळे तुरुंग, मे १९३२
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