कैसा बाळ निमाला
न दया भगवंताला।। कैसा....।।
‘लडिवाळा बाळा
बाळा वेल्हाळा
ये भेटायाला।।
तुजविण कोणि न मजला।। कैसा....।।
येशिल माघारा
माझ्या पाखरा
राजस राजकुमारा
धीर असा रे धरिला।। कैसा....।।
येशिल भेटाया
आशा ही सखया
होती मम हृदया
काळ कसा परि फिरला।। कैसा....।।
बाळा काय करू
प्राणा केवि धरू
शोका केवि करू
शोक सखा मम ठरला।। कैसा....।।
हे क्रूरा काळा
कैसा रे नेला
पाझर ना फुटला
घालिशि घोर घाला।। कैसा....।।
एकुलता बाळ
माणिक बिनमोल
मोती तेजाळ
दुर्दैवी मी अबला।। कैसा....।।
शून्य दिसे सृष्टी
माता मी कष्टी
भरते ही दृष्टि
अंत न पार न दु:खाला।। कैसा....।।
घेउ कुणा जवळ
देउ कुणा कवळ
बोलु कुणा जवळ
तव मुखचंद्र अंतरला।। कैसा....।।
मुख शशि न हसेल
हृदय न सुखवील
बोल ना रिझावील
राम न जीवनि उरला।। कैसा....।।
वत्साविण गाय
मोकलिते धाय
तळमळते गाय
प्राण जावया सजला।। कैसा....।।
सुख सगळे आटे
कंठ तिचा दाटे
हृदय तिचे फाटे
शरणागत ती मरणाला।। कैसा....।।
हंबरडा फोडी
सुस्कारे सोडी
बुडते हो होडी
करुणासागर भरला।। कैसा....।।
डोळे डबडबले
मानस गजबजले
अंतर गहिवरले
माता पडली धरणीला।। कैसा....।।
न दया भगवंताला।। कैसा....।।
‘लडिवाळा बाळा
बाळा वेल्हाळा
ये भेटायाला।।
तुजविण कोणि न मजला।। कैसा....।।
येशिल माघारा
माझ्या पाखरा
राजस राजकुमारा
धीर असा रे धरिला।। कैसा....।।
येशिल भेटाया
आशा ही सखया
होती मम हृदया
काळ कसा परि फिरला।। कैसा....।।
बाळा काय करू
प्राणा केवि धरू
शोका केवि करू
शोक सखा मम ठरला।। कैसा....।।
हे क्रूरा काळा
कैसा रे नेला
पाझर ना फुटला
घालिशि घोर घाला।। कैसा....।।
एकुलता बाळ
माणिक बिनमोल
मोती तेजाळ
दुर्दैवी मी अबला।। कैसा....।।
शून्य दिसे सृष्टी
माता मी कष्टी
भरते ही दृष्टि
अंत न पार न दु:खाला।। कैसा....।।
घेउ कुणा जवळ
देउ कुणा कवळ
बोलु कुणा जवळ
तव मुखचंद्र अंतरला।। कैसा....।।
मुख शशि न हसेल
हृदय न सुखवील
बोल ना रिझावील
राम न जीवनि उरला।। कैसा....।।
वत्साविण गाय
मोकलिते धाय
तळमळते गाय
प्राण जावया सजला।। कैसा....।।
सुख सगळे आटे
कंठ तिचा दाटे
हृदय तिचे फाटे
शरणागत ती मरणाला।। कैसा....।।
हंबरडा फोडी
सुस्कारे सोडी
बुडते हो होडी
करुणासागर भरला।। कैसा....।।
डोळे डबडबले
मानस गजबजले
अंतर गहिवरले
माता पडली धरणीला।। कैसा....।।
कोणत्याही टिप्पण्या नाहीत:
टिप्पणी पोस्ट करा